400+ आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Best Acharya Chanakya Quotes in Hindi

400 आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Acharya Chanakya Quotes in Hindi

400+ आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Acharya Chanakya Quotes in Hindi

आचार्य चाणक्य का जन्म आज से लगभग 2400 साल पूर्व हुआ था।  वह नालंदा विशवविधालय के महान आचार्य थे। उन्होंने हमें ‘चाणक्य नीति‘ जैसा ग्रन्थ दिया जो आज भी उतना ही प्रामाणिक है जितना उस काल में था।  चाणक्य नीति एक 17 अध्यायों का ग्रन्थ है।  आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के अलावा सैकड़ों ऐसे कथन और कहे थे जिन्हें की हर इंसान को पढ़ना, समझना और अपने जीवन में अपनाना चाहिए। हमने उनके ऐसे ही 400+ कथनों और विचारों का संग्रह यहाँ आप सब के लिए पेश किया है। आशा है आप सभी पाठकों को आचार्य चाणक्य के कोट्स का यह संग्रह जरूर पसंद आएगा।

400+ आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Acharya Chanakya Quotes in Hindi

आचार्य चाणक्य कोट्स Acharya Chanakya Quotes in Hindi

ऋण, शत्रु  और रोग को समाप्त कर देना चाहिए। ~आचार्य चाणक्य~

वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते है।~Acharya Chanakya~

शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।~आचार्य चाणक्य~

सिंह भूखा होने पर भी तिनका नहीं खाता।~Acharya Chanakya~

एक ही देश के दो शत्रु परस्पर मित्र होते है।~Acharya Chanakya~

आपातकाल में स्नेह करने वाला ही मित्र होता है।~Acharya Chanakya~

मित्रों के संग्रह से बल प्राप्त होता है।~Acharya Chanakya~

400+ आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Acharya Chanakya Quotes in Hindi

जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य।~Acharya Chanakya~

संकट में बुद्धि ही काम आती है।~Acharya Chanakya~

लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए।~Acharya Chanakya~

यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।~Acharya Chanakya~

Read Also : चाणक्य नीति अध्याय 12 हिंदी में

Acharya Chanakya Thoughts in Hindi

सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।

कल के मोर से आज का कबूतर भला।  अर्थात संतोष सब बड़ा धन है।

अन्न के सिवाय कोई दूसरा धन नहीं है।

भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है।

विद्या  ही निर्धन का धन है।

विद्या को चोर भी नहीं चुरा सकता।

शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए।

अपने स्थान पर बने रहने से ही मनुष्य पूजा जाता है।

सभी प्रकार के भय से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है।

किसी लक्ष्य की सिद्धि में कभी शत्रु को साथ न करें।

400+ आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Acharya Chanakya Quotes in Hindi

आलसी का न वर्तमान होता है, न भविष्य।

सत्य भी यदि अनुचित है तो उसे नहीं कहना चाहिए।

समय का ध्यान नहीं रखने वाला व्यक्ति अपने जीवन में निर्विघ्न नहीं रहता।

जो जिस कार्ये में कुशल हो उसे उसी कार्ये में लगना  चाहिए।

दोषहीन कार्यों का होना दुर्लभ होता है।

किसी भी कार्य में पल भर का भी विलम्ब न करें।

चंचल चित वाले के कार्य कभी समाप्त नहीं होते।

पहले निश्चय करिएँ, फिर कार्य आरम्भ करें।

भाग्य पुरुषार्थी के पीछे चलता है।~

Hindi Quotes Acharya Chanakya

अर्थ, धर्म और कर्म का आधार है।

शत्रु दण्डनीति के ही योग्य है।

कठोर वाणी अग्निदाह से भी अधिक तीव्र दुःख पहुंचाती है।

व्यसनी व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता।

शक्तिशाली शत्रु को कमजोर समझकर ही उस पर आक्रमण करे।

अपने से अधिक शक्तिशाली और समान बल वाले से शत्रुता न करे।

Read Also : चाणक्य नीति हिंदी में प्रथम अध्याय

Chanakya Thoughts Success in Hindi

मंत्रणा को गुप्त  रखने से ही कार्य सिद्ध होता है।

योग्य सहायकों के बिना निर्णय करना बड़ा कठिन होता है।

एक अकेला पहिया नहीं चला करता।

अविनीत स्वामी के होने से तो स्वामी का न होना अच्छा है।

जिसकी आत्मा संयमित होती है, वही आत्मविजयी होता है।

स्वभाव का अतिक्रमण अत्यंत कठिन है।

धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।

कल की हज़ार कौड़ियों से आज की एक कौड़ी भली।  अर्थात संतोष सबसे बड़ा धन है।

दुष्ट स्त्री बुद्धिमान व्यक्ति के शरीर को भी निर्बल बना देती है।

मनुष्य की वाणी ही विष और अमृत की खान है।

दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती है।

दूध के लिए हथिनी पालने की जरुरत नहीं होती। अर्थात आवश्कयता के अनुसार साधन जुटाने चाहिए।~Acharya Chanakya~

कठिन समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए।

कल का कार्य आज ही कर ले।

सुख का आधार धर्म है।

राज्य का आधार अपनी इन्द्रियों पर विजय पाना है।

प्रकृति (सहज) रूप से प्रजा के संपन्न होने से नेताविहीन राज्य भी संचालित होता रहता है।

वृद्धजन की सेवा ही विनय का आधार है।

वृद्ध सेवा अर्थात ज्ञानियों की सेवा से ही ज्ञान प्राप्त होता है।

ज्ञान से राजा अपनी आत्मा का परिष्कार करता है, सम्पादन करता है।

आत्मविजयी सभी प्रकार की संपत्ति एकत्र करने में समर्थ होता है।

जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है।

इन्द्रियों पर विजय का आधार विनर्मता है।

प्रकर्ति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है।

शासक को स्वयं योगय बनकर योगय प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।

योग्य सहायकों के बिना निर्णय करना बड़ा कठिन होता है।

सुख और दुःख में सामान रूप से सहायक होना चाहिए।

स्वाभिमानी व्यक्ति प्रतिकूल विचारों कोसम्मुख रखकर दुबारा उन पर विचार करे।

अविनीत व्यक्ति को स्नेही होने पर भी मंत्रणा में नहीं रखना चाहिए।

आचार्य चाणक्य कोट्स 2023

ज्ञानी और छल-कपट से रहित शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही मंत्री बनाए।

विचार अथवा मंत्रणा को गुप्त न रखने पर कार्य नष्ट हो जाता है।

लापरवाही अथवा आलस्य से भेद खुल जाता है।

सभी मार्गों से मंत्रणा की रक्षा करनी चाहिए।

मन्त्रणा की सम्पति से ही राज्य का विकास होता है।

मंत्रणा की गोपनीयता को सर्वोत्तम माना गया है।

भविष्य के अन्धकार में छिपे कार्य के लिए श्रेष्ठ मंत्रणा दीपक के समान प्रकाश देने वाली है।

मंत्रणा के समय कर्त्तव्य पालन में कभी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।

मंत्रणा रूप आँखों से शत्रु के छिद्रों अर्थात उसकी कमजोरियों को देखा-परखा जाता है।~आचार्य चाणक्य~

राजा, गुप्तचर और मंत्री तीनो का एक मत होना किसी भी मंत्रणा की सफलता है।~आचार्य चाणक्य~

कार्य-अकार्य के तत्वदर्शी ही मंत्री होने चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

छः कानो में पड़ने से (तीसरे व्यक्ति को पता पड़ने से) मंत्रणा का भेद खुल जाता है।~आचार्य चाणक्य~

अप्राप्त लाभ आदि राज्यतंत्र के चार आधार है।~आचार्य चाणक्य~

आलसी राजा अप्राप्त लाभ को प्राप्त नहीं करता।~आचार्य चाणक्य~

आलसी राजा प्राप्त वास्तु की रक्षा करने में असमर्थ होता है।~आचार्य चाणक्य

आलसी राजा अपने विवेक की रक्षा  नहीं कर सकता।~Acharya Chanakya~

आलसी राजा की प्रशंसा उसके सेवक भी नहीं करते।~Acharya Chanakya~

शक्तिशाली राजा लाभ को प्राप्त करने का प्रयत्न करता है।~Acharya Chanakya~

राज्यतंत्र को ही नीतिशास्त्र कहते है।~Acharya Chanakya~

राज्यतंत्र से संबंधित घरेलु और बाह्य, दोनों कर्तव्यों को राजतंत्र का अंग कहा जाता है।~Acharya Chanakya~

राज्य नीति का संबंध केवल अपने राज्य को सम्रद्धि प्रदान करने वाले मामलो से होता है।~Acharya Chanakya~

निर्बल राजा को तत्काल संधि करनी चाहिए।~Acharya Chanakya~

राज्य को नीतिशास्त्र के अनुसार चलना चाहिए।~Acharya Chanakya~

निकट के राज्य स्वभाव से शत्रु हो जाते है।~Acharya Chanakya~

किसी विशेष प्रयोजन के लिए ही शत्रु मित्र बनता है।~Acharya Chanakya~

आवाप अर्थात दूसरे राष्ट्र से संबंध नीति का परिपालन मंत्रिमंडल का कार्य है।~Acharya Chanakya~

दुर्बल के साथ संधि न करे।~Acharya Chanakya~

ठंडा लोहा लोहे से नहीं जुड़ता।~Acharya Chanakya~

संधि करने वालो में तेज़ ही संधि का हेतु होता है।~Acharya Chanakya~

शत्रु  के प्रयत्नों की समीक्षा करते रहना चाहिए।~Acharya Chanakya~

बलवान से युद्ध करना हाथियों से पैदल सेना को लड़ाने के समान है।~Acharya Chanakya~

कच्चा पात्र कच्चे पात्र से टकराकर टूट जाता है।~Acharya Chanakya~

संधि और एकता होने पर भी सतर्क रहे।~आचार्य चाणक्य~

शत्रुओं से अपने राज्य की पूर्ण रक्षा करें।~आचार्य चाणक्य~

शक्तिहीन को बलवान का आश्रय लेना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

दुर्बल के आश्रय से दुःख ही होता है।~आचार्य चाणक्य~

अग्नि के समान तेजस्वी जानकर ही किसी का सहारा लेना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

राजा के प्रतिकूल आचरण नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

व्यक्ति को उट-पटांग अथवा गवार वेशभूषा धारण नहीं करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

देवता के चरित्र का अनुकरण नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

ईर्ष्या करने वाले दो समान व्यक्तियों में विरोध पैदा कर देना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

जुए में लिप्त रहने वाले के कार्य पूरे नहीं होते है।~आचार्य चाणक्य~

शिकारपरस्त राजा धर्म और अर्थ दोनों को नष्ट कर लेता है।~आचार्य चाणक्य~

शराबी व्यक्ति का कोई कार्य पूरा नहीं होता है।~आचार्य चाणक्य~

कामी पुरुष कोई कार्य नहीं कर सकता।~आचार्य चाणक्य~

पूर्वाग्रह से ग्रसित दंड देना लोकनिंदा का कारण बनता है।~आचार्य चाणक्य~

धन का लालची श्रीविहीन हो जाता है।~आचार्य चाणक्य~

दण्डनीति के उचित प्रयोग से ही प्रजा की रक्षा संभव है।~आचार्य चाणक्य~

दंड से सम्पदा का आयोजन होता है।~आचार्य चाणक्य~

दण्डनीति के प्रभावी न होने से मंत्रीगण भी बेलगाम होकर अप्रभावी हो जाते है।~आचार्य चाणक्य~

दंड का भय न होने से लोग अकार्य करने लगते है।~आचार्य चाणक्य~

दण्डनीति से आत्मरक्षा की जा सकती है।~आचार्य चाणक्य~

आत्मरक्षा से सबकी रक्षा होती है।~आचार्य चाणक्य~

आत्मसम्मान के हनन से विकास का विनाश हो जाता है।~आचार्य चाणक्य~

निर्बल राजा की आज्ञा की भी अवहेलना कदापि नहीं करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

अग्नि में दुर्बलता नहीं होती।~आचार्य चाणक्य~

दंड का निर्धारण विवेकसम्मत होना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

दंडनीति से राजा की प्रवति अर्थात स्वभाव का पता चलता है।~आचार्य चाणक्य~

स्वभाव का मूल अर्थ लाभ होता है।~आचार्य चाणक्य~

Hindi Chanakya Quotes 

धन होने पर अल्प प्रयत्न करने से कार्य पूर्ण हो जाते है।~आचार्य चाणक्य~

उपाय से सभी कार्य पूर्ण हो जाते है।  कोई  कार्य कठिन नहीं रहता।~आचार्य चाणक्य~

बिना उपाय के किए गए कार्य प्रयत्न करने पर भी बचाए नहीं जा सकते, नष्ट हो जाते है।~आचार्य चाणक्य~

कार्य करने वाले के लिए उपाय सहायक होता है।~आचार्य चाणक्य~

कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है।~आचार्य चाणक्य~

अस्थिर मन वाले की सोच स्थिर नहीं रहती।~आचार्य चाणक्य~

कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।~Acharya Chanakya~

कार्य-सिद्धि के लिए हस्त-कौशल का उपयोग  करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुखदायी हो जाता है।~Acharya Chanakya~

अशुभ कार्यों को नहीं करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

समय को समझने वाला कार्य सिद्ध करता है।~Acharya Chanakya~

आचार्य चाणक्य के विचार

समय का ज्ञान न रखने वाले राजा का कर्म समय के द्वारा ही नष्ट हो जाता है।~Acharya Chanakya~

देश और फल का विचार करके कार्ये आरम्भ करें।~Acharya Chanakya~

नीतिवान पुरुष कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही देश-काल की परीक्षा कर लेते है।~Acharya Chanakya~

परीक्षा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है।~Acharya Chanakya~

सभी प्रकार की सम्पति का सभी उपायों से संग्रह करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

बिना विचार कार्ये करने वालो को भाग्यलक्ष्मी त्याग देती है।~Acharya Chanakya~

ज्ञान अर्थात अपने अनुभव और अनुमान के द्वारा कार्य की परीक्षा करें।~Acharya Chanakya~

उपायों को जानने वाला कठिन कार्यों को भी सहज बना लेता है।~Acharya Chanakya~

सिद्ध हुए कार्ये का प्रकाशन  करना ही उचित कर्तव्य होना चाहिए।~Acharya Chanakya~

संयोग से तो एक कीड़ा भी स्तिथि में परिवर्तन कर देता है।~Acharya Chanakya~

अज्ञानी व्यक्ति के कार्य को बहुत अधिक महत्तव नहीं देना चाहिए।~Acharya Chanakya~

ज्ञानियों के कार्य भी भाग्य तथा मनुष्यों के दोष से दूषित हो जाते है।~Acharya Chanakya~

भाग्य का शमन शांति से करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

Chanakya Quotes in Hindi

मनुष्य के कार्ये में आई विपति को कुशलता से ठीक करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

मुर्ख लोग कार्यों के मध्य कठिनाई उत्पन्न होने पर दोष ही निकाला करते है।~Acharya Chanakya~

कार्य की सिद्धि के लिए उदारता नहीं बरतनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

दूध पीने के लिए गाय का बछड़ा अपनी माँ के थनों पर प्रहार करता है।~आचार्य चाणक्य~

जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पुरे नहीं होते।~आचार्य चाणक्य~

प्रयत्न न करने से कार्य में विघ्न पड़ता है।~आचार्य चाणक्य~

जो अपने कर्तव्यों से बचते है, वे अपने आश्रितों परिजनों का भरण-पोषण नहीं कर पाते।~आचार्य चाणक्य~

जो अपने कर्म को नहीं पहचानता, वह अँधा है।~आचार्य चाणक्य~

प्रत्यक्ष और परोक्ष साधनों के अनुमान से कार्य की परीक्षा करें।~आचार्य चाणक्य~

निम्न अनुष्ठानों (भूमि, धन-व्यापार  उधोग-धंधों) से आय के साधन भी बढ़ते है।~आचार्य चाणक्य~

विचार न करके कार्ये करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी त्याग देती है।~आचार्य चाणक्य~

परीक्षा किये बिना कार्य करने से कार्य विपत्ति में पड़ जाता है।~आचार्य चाणक्य~

परीक्षा करके विपत्ति को दूर करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

अपनी शक्ति को जानकार ही कार्य करें।~आचार्य चाणक्य~

कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।~आचार्य चाणक्य~

अपने स्वामी के स्वभाव को जानकार ही आश्रित कर्मचारी कार्य करते है।~आचार्य चाणक्य~

गाय के स्वभाव को जानने वाला ही दूध का उपभोग करता है।~आचार्य चाणक्य~

नीच व्यक्ति के सम्मुख रहस्य और अपने दिल की बात नहीं करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

कोमल स्वभाव वाला व्यक्ति अपने आश्रितों से भी अपमानित होता है।~आचार्य चाणक्य~

कठोर दंड से सभी लोग घृणा करते है।~आचार्य चाणक्य~

राजा योग्य अर्थात उचित दंड देने वाला हो।~आचार्य चाणक्य~

अगम्भीर विद्वान को संसार में सम्मान नहीं मिलता।~आचार्य चाणक्य~

महाजन द्वारा अधिक धन संग्रह प्रजा को दुःख पहुँचाता है।~आचार्य चाणक्य~

अत्यधिक भार उठाने वाला व्यक्ति जल्दी थक जाता है।~आचार्य चाणक्य~

सभा के मध्य जो दूसरों के व्यक्तिगत दोष दिखाता है, वह स्वयं अपने दोष दिखाता है।~आचार्य चाणक्य~

मुर्ख लोगों का क्रोध उन्हीं का नाश करता है।~आचार्य चाणक्य~

सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं।~आचार्य चाणक्य~

केवल साहस से कार्य-सिद्धि संभव नहीं।~आचार्य चाणक्य~

व्यसनी व्यक्ति लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही रुक जाता है।~आचार्य चाणक्य~

दूसरे के धन पर भेदभाव रखना स्वार्थ है।~आचार्य चाणक्य~

न्याय विपरीत पाया धन, धन नहीं है।~आचार्य चाणक्य~

अज्ञानी लोगों द्वारा प्रचारित बातों पर चलने से जीवन व्यर्थ हो जाता है।~आचार्य चाणक्य~

जो धर्म और अर्थ की वृद्धि नहीं करता वह  कामी है।~आचार्य चाणक्य~

धर्मार्थ विरोधी कार्य करने वाला अशांति उत्पन्न करता है।~आचार्य चाणक्य~

सीधे और सरल व्तक्ति दुर्लभता से मिलते है।~आचार्य चाणक्य~

निकृष्ट उपायों से प्राप्त धन की अवहेलना करने वाला व्यक्ति ही साधू होता है।~आचार्य चाणक्य~

बहुत से गुणों को एक ही दोष ग्रस लेता है।~आचार्य चाणक्य~

महात्मा को पराए बल पर साहस नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

चरित्र का उल्लंघन कदापि नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

विश्वास की रक्षा प्राण से भी अधिक करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

चुगलखोर श्रोता के पुत्र और पत्नी उसे त्याग देते है।~आचार्य चाणक्य~

बच्चों की सार्थक बातें ग्रहण करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

साधारण दोष देखकर महान गुणों को त्याज्य नहीं समझना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

मर्यादाओं का उल्लंघन करने वाले का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

शत्रु द्वारा किया गया स्नेहिल व्यवहार भी दोषयुक्त समझना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

सज्जन की राय का उल्लंघन न करें।~आचार्य चाणक्य~

गुणी व्यक्ति का आश्रय लेने से निर्गुणी भी गुणी हो जाता है।~आचार्य चाणक्य~

आचार्य चाणक्य Quotes in Hindi

दूध में मिला जल भी दूध बन जाता है।~आचार्य चाणक्य~

मछेरा जल में प्रवेश करके ही कुछ पाता है।~आचार्य चाणक्य~

राजा अपने बल-विक्रम से धनी होता है।~आचार्य चाणक्य~

शत्रु भी उत्साही व्यक्ति के वश में हो जाता है।~आचार्य चाणक्य~

उत्साहहीन व्यक्ति का भाग्य भी अंधकारमय हो जाता है।~आचार्य चाणक्य~

पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती।~आचार्य चाणक्य~

अविश्वसनीय लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

400+ आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Acharya Chanakya Quotes in Hindi

विष प्रत्येक स्तिथि में विष ही रहता है।~आचार्य चाणक्य~

कार्य करते समय शत्रु का साथ नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

राजा की भलाई के लिए ही नीच का साथ करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

संबंधों का आधार उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है।~आचार्य चाणक्य~

शत्रु का पुत्र यदि मित्र है तो उसकी रक्षा करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

शत्रु के छिद्र (दुर्बलता) पर ही प्रहार करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

अपनी कमजोरी का प्रकाशन न करें।~आचार्य चाणक्य~

एक अंग का दोष भी पुरुष को दुखी करता है।~Acharya Chanakya~

शत्रु छिद्र (कमजोरी) पर ही प्रहार करते है।~Acharya Chanakya~

हाथ में आए शत्रु पर कभी विश्वास न करें।~Acharya Chanakya~

स्वजनों की बुरी आदतों का समाधान करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

स्वजनों के अपमान से मनस्वी दुःखी होते है।~Acharya Chanakya~

सदाचार से शत्रु पर विजय प्राप्त की जा सकती है।~Acharya Chanakya~

विकृतिप्रिय लोग नीचता का व्यवहार करते है।~Acharya Chanakya~

नीच व्यक्ति को उपदेश देना ठीक नहीं।~Acharya Chanakya~

नीच लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

भली प्रकार से पूजने पर भी दुर्जन पीड़ा पहुंचाता है।~Acharya Chanakya~

कभी भी पुरुषार्थी का अपमान नहीं करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

क्षमाशील पुरुष को कभी दुःखी न करें।~Acharya Chanakya~

क्षमा करने योग्य पुरुष को दुःखी न करें।~Acharya Chanakya~

अनुराग अर्थात प्रेम फल अथवा परिणाम से ज्ञात होता है।~Acharya Chanakya~

मुर्ख व्यक्ति दान देने में दुःख का अनुभव करता है।~Acharya Chanakya~

विवेकहीन व्यक्ति महान ऐश्वर्य पाने के बाद भी नष्ट हो जाते है।~Acharya Chanakya~

धैर्यवान व्यक्ति अपने धैर्ये से रोगों को भी जीत लेता है।~Acharya Chanakya~

कमजोर शरीर में बढ़ने वाले रोग की उपेक्षा न करें।~Acharya Chanakya~

शराबी के हाथ में थमें दूध को भी शराब ही समझा जाता है।~Acharya Chanakya~

आवश्यकतानुसार कम भोजन करना ही स्वास्थ्य प्रदान करता है।~Acharya Chanakya~

खाने योग्य भी अपथ्य होने पर नहीं खाना चाहिए।~Acharya Chanakya~

400+ आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी | Acharya Chanakya Quotes in Hindi

अजीर्ण की स्थिति में भोजन दुःख पहुंचाता है।~Acharya Chanakya~

चालाक और लोभी बेकार में घनिष्ठता को बढ़ाते है।~Acharya Chanakya~

लोभ बुद्धि पर छा जाता है, अर्थात बुद्धि को नष्ट कर देता है।~Acharya Chanakya~

अपने तथा अन्य लोगों के बिगड़े कार्यों का स्वयं निरिक्षण करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

Best Chanakya Quotes In Hindi 

मृत्यु भी धरम पर चलने वाले व्यक्ति की रक्षा करती है।~Acharya Chanakya~

जहाँ पाप होता है, वहां धर्म का अपमान होता है।~Acharya Chanakya~

लोक-व्यवहार में कुशल व्यक्ति ही बुद्धिमान है।~Acharya Chanakya~

सज्जन को बुरा आचरण नहीं करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

विनाश का उपस्थित होना सहज प्रकर्ति से ही जाना जा सकता है।~Acharya Chanakya~

आचार्य चाणक्य कोट्स इन हिंदी ( Acharya Chanakya Quotes in Hindi )

अधर्म बुद्धि से आत्मविनाश की सुचना मिलती है।~Acharya Chanakya~

चुगलखोर व्यक्ति के सम्मुख कभी गोपनीय रहस्य न खोलें।~Acharya Chanakya~

राजा के सेवकों का कठोर होना अधर्म माना जाता है।~Acharya Chanakya~

दूसरों की रहस्यमयी बातों को नहीं सुनना चाहिए।~Acharya Chanakya~

स्वजनों की सीमा का अतिक्रमण न करें।~Acharya Chanakya~

पराया व्यक्ति यदि हितैषी हो तो वह भाई है।~Acharya Chanakya~

उदासीन होकर शत्रु की उपेक्षा न करें।~Acharya Chanakya~

अल्प व्यसन भी दुःख देने वाला होता है।~Acharya Chanakya~

स्वयं को अमर मानकर धन का संग्रह करें।~Acharya Chanakya~

धनवान व्यक्ति का सारा संसार सम्मान करता है।~Acharya Chanakya~

धनविहीन महान राजा का संसार सम्मान नहीं करता।~Acharya Chanakya~

दरिद्र मनुष्य का जीवन मृत्यु के समान है।~Acharya Chanakya~

धनवान असुंदर व्यक्ति भी सुरुपवान कहलाता है।~Acharya Chanakya~

याचक कंजूस-से-कंजूस धनवान को भी नहीं छोड़ते।~Acharya Chanakya~

अकुलीन धनिक भी कुलीन से श्रेष्ठ है।~Acharya Chanakya~

नीच व्यक्ति को अपमान का भय नहीं होता।~Acharya Chanakya~

कुशल लोगों को रोजगार का भय नहीं होता।~Acharya Chanakya~

जितेन्द्रिय व्यक्ति को विषय-वासनाओं का भय नहीं सताता।~Acharya Chanakya~

सफलता पर चाणक्य के विचार

कर्म करने वाले को मृत्यु का भय नहीं सताता।~Acharya Chanakya~

साधू पुरुष किसी के भी धन को अपना ही मानते है।~Acharya Chanakya~

दूसरे के धन अथवा वैभव का लालच नहीं करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

मृत व्यक्ति का औषधि से क्या प्रयोजन।~Acharya Chanakya~

दूसरे के धन का लोभ नाश का कारण होता है।~Acharya Chanakya~

दूसरे का धन किंचिद् भी नहीं चुराना चाहिए।~Acharya Chanakya~

दूसरों के धन का अपहरण करने से स्वयं अपने ही धन का नाश हो जाता है।~Acharya Chanakya~

चोर कर्म से बढ़कर कष्टदायक मृत्यु पाश भी नहीं है।~Acharya Chanakya~

जीवन के लिए सत्तू (जौ का भुना हुआ आटा) भी काफी होता है।~Acharya Chanakya~

हर पल अपने प्रभुत्व को बनाए रखना ही कर्त्यव है।~Acharya Chanakya~

नीच की विधाएँ पाप कर्मों का ही आयोजन करती है।~Acharya Chanakya~

निकम्मे अथवा आलसी व्यक्ति को भूख का कष्ट झेलना पड़ता है।~Acharya Chanakya~

भूखा व्यक्ति अखाद्य को भी खा जाता है।~Acharya Chanakya~

इंद्रियों के अत्यधिक प्रयोग से बुढ़ापा आना शुरू हो जाता है।~Acharya Chanakya~

संपन्न और दयालु स्वामी की ही नौकरी करनी चाहिए।~Acharya Chanakya~

लोभी और कंजूस स्वामी से कुछ पाना जुगनू से आग प्राप्त करने के समान है।~Acharya Chanakya~

विशेषज्ञ व्यक्ति को स्वामी का आश्रय ग्रहण करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

उचित समय पर सम्भोग (sex) सुख न मिलने से स्त्री बूढी हो जाती है।~Acharya Chanakya~

नीच और उत्तम कुल के बीच में विवाह संबंध नहीं होने चाहिए।~Acharya Chanakya~

न जाने योग्य जगहों पर जाने से आयु, यश और पुण्य क्षीण हो जाते है।~Acharya Chanakya~

अधिक मैथुन (सेक्स) से पुरुष बूढ़ा हो जाता है।~Acharya Chanakya~

अहंकार से बड़ा मनुष्य का कोई शत्रु नहीं।~Acharya Chanakya~

चाणक्य स्टेटस हिंदी

सभा के मध्य शत्रु पर क्रोध न करें।~Acharya Chanakya~

शत्रु की बुरी आदतों को सुनकर कानों को सुख मिलता है।~Acharya Chanakya~

धनहीन की बुद्धि दिखाई नहीं देती।~Acharya Chanakya~

निर्धन व्यक्ति की हितकारी बातों को भी कोई नहीं सुनता।~Acharya Chanakya~

निर्धन व्यक्ति की पत्नी भी उसकी बात नहीं मानती।~Acharya Chanakya~

पुष्पहीन होने पर सदा साथ रहने वाला भौरा वृक्ष को त्याग देता है।~Acharya Chanakya~

विद्या से विद्वान की ख्याति होती है।~Acharya Chanakya~

जो दूसरों की भलाई के लिए समर्पित है, वही सच्चा पुरुष है।~Acharya Chanakya~

शास्त्रों के ज्ञान से इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है।~आचार्य चाणक्य~

गलत कार्यों में लगने वाले  व्यक्ति को  शास्त्रज्ञान ही रोक पाते है।~आचार्य चाणक्य~

नीच व्यक्ति की शिक्षा की अवहेलना करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

मलेच्छ अर्थात नीच की भाषा कभी शिक्षा नहीं देती।~आचार्य चाणक्य~

मलेच्छ अर्थात नीच व्यक्ति की भी यदि कोई अच्छी बात हो अपना लेना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

गुणों से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

Top Acharya Chanakya Quotes in Hindi

विष में यदि अमृत हो तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

विशेष स्थिति में ही पुरुष सम्मान पाता है।~आचार्य चाणक्य~

सदैव आर्यों (श्रेष्ठ जन) के समान ही आचरण करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

विद्वान और प्रबुद्ध व्यक्ति समाज के रत्न है।~आचार्य चाणक्य~

स्त्री रत्न से बढ़कर कोई दूसरा रत्न नहीं है।~आचार्य चाणक्य~

रत्नों की प्राप्ति बहुत कठिन है। अर्थात श्रेष्ठ नर और नारियों की प्राप्ति अत्यंत दुर्लभ है।~आचार्य चाणक्य~

शास्त्र का ज्ञान आलसी को नहीं हो सकता।~आचार्य चाणक्य~

स्त्री के प्रति आसक्त रहने वाले पुरुष को न स्वर्ग मिलता है, न धर्म-कर्म।~आचार्य चाणक्य~

स्त्री भी नपुंसक व्यक्ति का अपमान कर देती है।~आचार्य चाणक्य~

फूलों की इच्छा  रखने वाला सूखे पेड़ को नहीं सींचता।~आचार्य चाणक्य~

बिना प्रयत्न किए धन प्राप्ति की इच्छा करना बालू  में से तेल निकालने के समान है।~आचार्य चाणक्य~

महान व्यक्तियों का उपहास नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

कार्य के लक्षण ही सफलता-असफलता के संकेत दे देते है।~आचार्य चाणक्य~

नक्षत्रों द्वारा भी किसी कार्य के होने, न होने का पता चल जाता है।~आचार्य चाणक्य~

अपने कार्य की शीघ्र सिद्धि चाहने वाला व्यक्ति नक्षत्रों की परीक्षा नहीं करता।~आचार्य चाणक्य~

परिचय हो जाने के बाद दोष नहीं छिपाते।~आचार्य चाणक्य~

स्वयं अशुद्ध व्यक्ति दूसरे से भी अशुद्धता की शंका करता है।~आचार्य चाणक्य~

वैभव के अनुरूप ही आभूषण और वस्त्र धारण करें।~आचार्य चाणक्य~

अपने कुल अर्थात वंश के अनुसार ही व्यवहार करें।~आचार्य चाणक्य~

उम्र के अनुरूप ही वेश धारण करें।~आचार्य चाणक्य~

सेवक को स्वामी के अनुकूल कार्य करने चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

पति के वश में रहने वाली पत्नी ही व्यवहार के अनुकूल होती है।~आचार्य चाणक्य~

शिष्य को गुरु के वश में होकर कार्य करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

पुत्र को पिता के अनुकूल आचरण करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

अत्यधिक आदर-सत्कार से शंका उत्पन्न हो जाती है।~आचार्य चाणक्य~

स्वामी के क्रोधित होने पर स्वामी के अनुरूप ही काम करें।~आचार्य चाणक्य~

माता द्वारा प्रताड़ित बालक माता के पास जाकर ही रोता है।~आचार्य चाणक्य~

स्नेह करने वालों  का रोष अल्प समय के लिए होता है।~आचार्य चाणक्य~

मुर्ख व्यक्ति को अपने दोष दिखाई नहीं देते, उसे दूसरे के दोष ही दिखाई देते हैं।~आचार्य चाणक्य~

स्वार्थ पूर्ति हेतु दी जाने वाली भेंट ही उनकी सेवा है।~आचार्य चाणक्य~

बहुत दिनों से परिचित व्यक्ति की अत्यधिक सेवा शंका उत्पन्न करती है।~आचार्य चाणक्य~

बुरे व्यक्ति पर क्रोध करने से पूर्व अपने आप पर ही क्रोध करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

बुद्धिमान व्यक्ति को मुर्ख, मित्र, गुरु और अपने  प्रियजनों से विवाद नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

ऐश्वर्य पैशाचिकता से अलग नहीं होता।~आचार्य चाणक्य~

स्त्री में गंभीरता न होकर चंचलता होती है।~आचार्य चाणक्य~

धनिक को शुभ कर्म करने में अधिक श्रम नहीं करना पड़ता।~आचार्य चाणक्य~

वाहनों पर यात्रा करने वाले पैदल चलने का कष्ट नहीं करते।~आचार्य चाणक्य~

जो व्यक्ति जिस कार्य में कुशल हो, उसे उसी कार्य में लगाना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

स्त्री का निरिक्षण करने में आलस्य न करें।~आचार्य चाणक्य~

सौंदर्य अलंकारों अर्थात आभूषणों से छिप जाता है।~आचार्य चाणक्य~

गुरुजनों की माता का स्थान सर्वोच्च होता है।~आचार्य चाणक्य~

प्रत्येक अवस्था में सर्वप्रथम माता का भरण-पोषण करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

विनय से युक्त विद्या सभी आभूषणों की आभूषण है।~आचार्य चाणक्य~

राजा के पास खाली हाथ कभी नहीं जाना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

गुरु और देवता के पास भी खाली नहीं जाना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

राजपरिवार से द्वेष अथवा भेदभाव नहीं रखना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

राजकुल में सदैव आते-जाते रहना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

राजदासी से कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

राजधन की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

पुत्र के गुणवान होने से परिवार स्वर्ग बन जाता है।~आचार्य चाणक्य~

पुत्र को सभी विद्याओं में क्रियाशील बनाना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

जनपद के लिए ग्राम का त्याग कर देना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

ग्राम के लिए कुटुम्ब (परिवार) को त्याग देना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

प्रायः पुत्र पिता का ही अनुगमन करता है।~आचार्य चाणक्य~

गुणी पुत्र माता-पिता की दुर्गति नहीं होने देता।~आचार्य चाणक्य~

पुत्र से ही कुल को यश मिलता है।~आचार्य चाणक्य~

जिससे कुल का गौरव बढे वही पुरुष है।~आचार्य चाणक्य~

पुत्र के बिना स्वर्ग की प्राप्ति नहीं होती।~आचार्य चाणक्य~

संतान को जन्म देने वाली स्त्री पत्नी कहलाती है।~आचार्य चाणक्य~

पुत्र प्राप्ति के लिए ही स्त्री का वरण किया जाता है।~आचार्य चाणक्य~

पराए खेत में बीज न डाले।  अर्थात पराई स्त्री से सम्भोग (सेक्स) न करें।~आचार्य चाणक्य~

अपनी दासी को ग्रहण करना स्वयं को दास बना लेना है।~आचार्य चाणक्य~

विनाश काल आने पर दवा की बात कोई नहीं सुनता।~आचार्य चाणक्य~

देहधारी को सुख-दुःख की कोई कमी नहीं रहती।~आचार्य चाणक्य~

गाय के पीछे चलते बछड़े के समान सुख-दुःख भी आदमी के साथ जीवन भर चलते है।~आचार्य चाणक्य~

सज्जन तिल बराबर उपकार को भी पर्वत के समान बड़ा मानकर चलता है।~आचार्य चाणक्य~

चाणक्य नीति पर दबंग शायरी

दुष्ट व्यक्ति पर उपकार नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

उपकार  का बदला चुकाने के भय से दुष्ट व्यक्ति शत्रु बन जाता है।~आचार्य चाणक्य~

सज्जन थोड़े-से उपकार के बदले बड़ा उपकार करने की इच्छा से सोता भी नहीं।~आचार्य चाणक्य~

जैसी बुद्धि होती है , वैसा ही वैभव होता है।~आचार्य चाणक्य~

स्त्री के बंधन से मोक्ष पाना अति दुर्लभ है।~आचार्य चाणक्य~

स्त्रियों का मन क्षणिक रूप से स्थिर होता है।~आचार्य चाणक्य~

तपस्वियों को सदैव पूजा करने योग्य मानना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

पराई स्त्री के पास नहीं जाना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

अन्न दान करने से भ्रूण हत्या (गर्भपात) के पाप से मुक्ति मिल जाती है।~आचार्य चाणक्य~

सत्य पर ही देवताओं का आशीर्वाद बरसता है।~आचार्य चाणक्य~

संसार में निर्धन व्यक्ति का आना उसे दुखी करता है।~आचार्य चाणक्य~

गुरु, देवता और ब्राह्मण में भक्ति ही भूषण है।~आचार्य चाणक्य~

जो कुलीन न होकर भी विनीत है, वह श्रेष्ठ कुलीनों से भी बढ़कर है।~आचार्य चाणक्य~

याचकों का अपमान अथवा उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

मधुर व प्रिय वचन होने पर भी अहितकर वचन नहीं बोलने चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

बहुमत का विरोध करने वाले एक व्यक्ति का अनुगमन नहीं करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

दुर्जन व्यक्ति के साथ अपने भाग्य को नहीं जोड़ना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

सदाचार से मनुष्य का यश और आयु दोनों बढ़ती है।~आचार्य चाणक्य~

अपने व्यवसाय में सफल नीच व्यक्ति को भी साझीदार नहीं बनाना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

पुरुष के लिए कल्याण का मार्ग अपनाना ही उसके लिए जीवन-शक्ति है।~आचार्य चाणक्य~

कठिन कार्य करवा लेने के उपरान्त भी नीच व्यक्ति कार्य करवाने वाले का अपमान ही करता है।~आचार्य चाणक्य~

कृतघ्न अर्थात उपकार न मानने वाले व्यक्ति को नरक ही प्राप्त होता है।~आचार्य चाणक्य~

उन्नति और अवनति वाणी के अधीन है।~आचार्य चाणक्य~

अपने धर्म के लिए ही कोई सत्पुरुष कहलाता है।~आचार्य चाणक्य~

स्तुति करने से देवता भी प्रसन्न हो जाते है।~आचार्य चाणक्य~

झूठे अथवा दुर्वचन लम्बे समय तक स्मरण रहते है।~आचार्य चाणक्य~

जिन वचनो से राजा के प्रति द्वेष उत्पन्न होता हो, ऐसे बोल नहीं बोलने चाहिए।~Acharya Chanakya~

कोयल की कुक सबको अच्छी  है।~Acharya Chanakya~

प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता।~Acharya Chanakya~

जो मांगता है, उसका कोई गौरव नहीं होता।~Acharya Chanakya~

शत्रु की जीविका भी नष्ट नहीं करनी चाहिए।~Acharya Chanakya~

बहुत पुराना नीम  का पेड़ होने पर भी उससे सरौता नहीं बन सकता।~Acharya Chanakya~

एरण्ड वृक्ष का सहारा लेकर हाथी को अप्रसन्न न करें।~Acharya Chanakya~

पुराना होने पर भी शाल के वृक्ष से हाथी को नहीं बाँधा जा सकता।~Acharya Chanakya~

बहुत बड़ा कनेर का वृक्ष भी मूसली बनाने के काम नहीं आता।~Acharya Chanakya~

जुगनू कितना भी चमकीला हो, पर उससे आग का काम नहीं लिया  जा सकता।~Acharya Chanakya~

समृद्धता से कोई गुणवान नहीं हो जाता।~Acharya Chanakya~


Chanakya quotes on knowledge

बिना प्रयत्न के जहां जल उपलब्ध हो, वही कृषि करनी चाहिए।~Acharya Chanakya~

जैसा बीज होता है, वैसा ही फल होता है।~Acharya Chanakya~

बिना अधिकार के किसी के घर में प्रवेश न करें।~Acharya Chanakya~

किसी कार्यारंभ के समय को विद्वान और अनुभवी लोगों से पूछना चाहिए।~Acharya Chanakya~

अकारण किसी के घर में प्रवेश न करें।~Acharya Chanakya~

संसार में लोग जान-बूझकर अपराध की ओर प्रवर्त्त होते हैं।~Acharya Chanakya~

शास्त्रों के न जानने पर श्रेष्ठ पुरुषों के आचरणों के अनुसार आचरण करें।~Acharya Chanakya~

राजा अपने गुप्तचरों द्वारा अपने राज्य में होने वाली दूर की घटनाओ को भी जान लेता है।~Acharya Chanakya~

साधारण पुरुष परम्परा का अनुसरण करते है।~Acharya Chanakya~

जिसके द्वारा जीवनयापन होता है, उसकी निंदा न करें।~Acharya Chanakya~

इन्द्रियों को वश में करना ही तप का सार है।~Acharya Chanakya~

स्त्री के बंधन से छूटना अथवा मोक्ष पाना अत्यंत कठिन है।~Acharya Chanakya~

स्त्री का नाम सभी अशुभ क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है।~Acharya Chanakya~

अशुभ कार्य न चाहने वाले स्त्रियों में आसक्त नहीं होते।~Acharya Chanakya~

तीन वेदों ऋग, यजु व साम को जानने वाला ही यज्ञ के फल को जानता है।~Acharya Chanakya~

स्वर्ग की प्राप्ति शाश्वत अर्थात सनातन नहीं होती।~Acharya Chanakya~

जब तक पुण्य फलों का अंश शेष रहता है, तभी तक स्वर्ग का सुख भोग जा सकता है।~Acharya Chanakya~

प्राणी अपनी देह को त्यागकर इंद्र का पद भी प्राप्त करना नहीं चाहता।~Acharya Chanakya~

समस्त दुखों को नष्ट करने की औषधि मोक्ष है।~Acharya Chanakya~

दुर्वचनों से कुल का नाश हो जाता है।~Acharya Chanakya~

पुत्र के सुख से बढ़कर कोई दूसरा सुख नहीं है।~Acharya Chanakya~

विवाद के समय धर्म के अनुसार कार्य करना चाहिए।~Acharya Chanakya~

प्रातःकाल ही दिन-भर के कार्यों के बारें में विचार कर लें।~Acharya Chanakya~

विनाशकाल आने पर आदमी अनीति करने लगता है।~Acharya Chanakya~

दान जैसा कोई वशीकरण मन्त्र नहीं है।~Acharya Chanakya~

पराई वस्तु को पाने की लालसा नहीं रखनी चाहिए।~Acharya Chanakya~

दुर्जन व्यक्तियों द्वारा संगृहीत सम्पति का उपभोग दुर्जन ही करते है।~Acharya Chanakya~

Chanakya Quotes

समुद्र के पानी से प्यास नहीं बुझती।~Acharya Chanakya~

सज्जन दुर्जनों में विचरण नही करते।~Acharya Chanakya~

Chanakya quotes on Leadership

समस्त संसार धन के पीछे लगा है।~Acharya Chanakya~

यह संसार आशा के सहारे बंधा है।~Acharya Chanakya~

केवल आशा के सहारे ही लक्ष्मी प्राप्त नहीं होती।~Acharya Chanakya~

निर्धन होकर जीने से तो मर जाना अच्छा है।~Acharya Chanakya~

आशा लज्जा को दूर कर देती है अर्थात मनुष्य को निर्लज्ज बना देती है।~Acharya Chanakya~

Acharya Quotes in Hindi

आत्मस्तुति अर्थात अपनी प्रशंसा अपने ही मुख से नहीं करनी चाहिए।~Acharya Chanakya~

श्रेष्ठ स्त्री के लिए पति ही परमेश्वर है।~आचार्य चाणक्य~

पति का अनुगमन करना, इहलोक और परलोक दोनों का सुख प्राप्त करना है।~आचार्य चाणक्य~

घर आए अतिथि का  विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

दिया गया दान कभी नष्ट नहीं होता।~आचार्य चाणक्य~

लोभ द्वारा शत्रु को भी भ्रष्ट किया जा सकता है।~आचार्य चाणक्य~

विनयरहित व्यक्ति की ताना देना व्यर्थ है।~आचार्य चाणक्य~

बुद्धिहीन व्यक्ति निकृष्ट साहित्य के प्रति मोहित होते है।~आचार्य चाणक्य~

सत्संग से स्वर्ग में रहने का सुख मिलता है।~आचार्य चाणक्य~

श्रेष्ठ व्यक्ति अपने समान ही दूसरों को मानता है।~आचार्य चाणक्य~

जहां सुख से रहा जा सके, वही स्थान श्रेष्ठ है।~आचार्य चाणक्य~

विश्वासघाती की कहीं भी मुक्ति नहीं होती।~आचार्य चाणक्य~

दैव (भाग्य) के अधीन किसी बात पर  विचार न करें।~आचार्य चाणक्य~

श्रेष्ठ और सुहृदय जन अपने आश्रित के दुःख को अपना ही दुःख समझते है।~आचार्य चाणक्य~

नीच व्यक्ति ह्र्दयगत बात को छिपाकर कुछ और ही बात कहता है।~आचार्य चाणक्य~

बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है।~आचार्य चाणक्य~

असहाय पथिक बनकर मार्ग में न जाएं।~आचार्य चाणक्य~

पुत्र की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

सेवकों को अपने स्वामी का गुणगान करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

धार्मिक अनुष्ठानों में स्वामी को ही श्रेय देना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

राजा की आज्ञा का कभी उल्लंघन न करे।~आचार्य चाणक्य~

अपनी सेवा से स्वामी की कृपा पाना सेवकों का धर्म है।~आचार्य चाणक्य~

विशेष कार्य को (बिना आज्ञा भी) करें।~आचार्य चाणक्य~

राजसेवा में डरपोक और निकम्मे लोगों का कोई उपयोग नहीं होता।~आचार्य चाणक्य~

नीच लोगों की कृपा पर निर्भर होना व्यर्थ है।~आचार्य चाणक्य~

शत्रु की निंदा सभा के मध्य नहीं करनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

क्षमाशील व्यक्ति का तप बढ़ता रहता है।~आचार्य चाणक्य~

बल प्रयोग के स्थान पर क्षमा करना अधिक प्रशंसनीय होता है।~आचार्य चाणक्य~

क्षमा करने वाला अपने सारे काम आसानी से कर लेता है।~आचार्य चाणक्य~

साहसी लोगों को अपना कर्तव्य प्रिय होता है।~आचार्य चाणक्य~

दोपहर बाद के कार्य को सुबह ही कर लें।~आचार्य चाणक्य~

धर्म को व्यावहारिक होना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~

लोक चरित्र को समझना सर्वज्ञता कहलाती है।~आचार्य चाणक्य~

तत्त्वों का ज्ञान ही शास्त्र का प्रयोजन है।~आचार्य चाणक्य~

कर्म करने से ही तत्त्वज्ञान को समझा  जा सकता है।~आचार्य चाणक्य~

झूठी गवाही देने वाला नरक में जाता है।~आचार्य चाणक्य~

पक्ष अथवा विपक्ष में साक्षी देने वाला न तो किसी का भला करता है, न बुरा।~आचार्य चाणक्य~

व्यक्ति के मन में क्या है, यह उसके व्यवहार से प्रकट हो जाता है।~आचार्य चाणक्य~

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