अरुणिमा सिन्हा जी के बारे में जानकारी 2021 | Arunima sinha biography in hindi

दोस्तों आज हम आपको बताएंगे अरुणिमा सिन्हा के बारे में अर्थात आज का हमारे विषय है arunima sinha biography in hindi| अरुणिमा सिन्हा के बारे में कई लोगों को अभी तक संपूर्ण जानकारी नहीं है जिस वजह से गूगल पर प्रतिदिन इस तरह के सर्च होते रहते हैं जैसे कि arunima sinha story in hindi , about arunima sinha in hindi इसलिए मैं आज आपको उनके बारे में बताऊंगा|

तो अब शुरू करते हैं

अरुणिमा सिन्हा जी के बारे में जानकारी | Arunima sinha biography in hindi | arunima sinha story in hindi

INFOGYANS

अरुणिमा सिन्हा का जन्म 20 जुलाई 1988 मैं हमारे भारत देश की उत्तर प्रदेश राज्य के एक अंबेडकर नामक शहर में हुआ था| इनके पिता के बारे में लोगों को किसी भी तरह की पूर्णता जानकारी नहीं है क्योंकि लोगों का ऐसा कहना है कि अरुणिमा सिन्हा को मैंने लोगों ने पाला था|

अरुणिमा सिन्हा की आरंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश राज्य में है पूरी हुई है तत्पश्चात उन्होंने नेहरू इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग नाम के एक मेले में अपना दाखिला करवाया और इन्होंने पर्वतारोहण का भी कोर्स किया| अरुणिमा सिन्हा को पर्वतारोहण एवं वॉलीबॉल का खेल दोनों ही बेहद पसंद था जिस वजह से यह दोनों एक साथ किया करती थी|

अरुणिमा सिन्हा का ट्रेन हादसा कैसे हुई?

अरुणिमा सिन्हा को अपनी एक परीक्षा सी आई एस एफ देने के लिए दिल्ली जाना था जिस वजह से वह दिल्ली जाने के लिए निकली और वह पद्मावत एक्सप्रेस से 21 अप्रैल 2011 को यात्रा कर रही थी उसी दौरान कुछ बदमाशों द्वारा उनके सोने की चैन पर हमला किया तथा उसी ने की कोशिश करने लगे इसी दौरान अरुणिमा सिन्हा उनसे गिर गई और दूसरे ट्रैक पर चली गई तभी उन्होंने देखा कि सामने से एक रेलगाड़ी आ रही है और जब तक वह खुद को उस ट्रैक से हटाती तब तक उस रेलगाड़ी में उनके पैरों को कुचल दिया|

और जब इस बात का पता लगाया गया तब लोगों को यह पता चला कि इस दुर्घटना के दौरान उनके पर से 49 रेलगाड़ियां गुजरी थी जोकि अपने आप में ही एक भयावह है और इसके पश्चात उनको हॉस्पिटल में भर्ती किया गया लेकिन रेलगाड़ियों द्वारा उनके पैर बुरी तरह से कुचल दिए जाने की वजह से उनका पैर काटना पड़ा|

इस हादसे के बाद लोग उनको एक लाचार और बेचारी दुखियारी के स्वरूप देखते थे जो अरुणिमा सेना को बिल्कुल भी पसंद नहीं आता था जिस वजह से उन्होंने फैसला किया कि वह एक अलग ही मिसाल बनाएंगे और वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिए स्वयं से फैसला किया |

सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने का फैसला|

अरुणिमा सिन्हा का पैर कट जाने की वजह से कई सारे लोग उन को कमजोर समझते थे लेकिन उन्होंने कभी खुद को कमजोर नहीं समझा और उन्होंने अपनी ताकत बरकरार रखी तथा उस कटे हुए पैर के लिए इन्होंने और लोहे की एक मिक्स पैर बनवाया और उन्होंने सबसे ऊंची चोटी जिसका नाम माउंट एवरेस्ट है उस पर चढ़ना शुरू किया और जब वह उस छुट्टी पर चल रही थी तब हमने कई सारी ऐसी घटनाएं हो रही थी जिस वजह से वह टूट सकती थी लेकिन उन्होंने खुद के हौसले को मजबूत रखा और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली पहली विकलांग महिला बनी|

प्रोत्साहन

अरुणिमा सिन्हा के साथ जब रेल दुर्घटना हुई उसके पहले उनका विवाह हो चुका था लेकिन इस दुर्घटना के पश्चात उनका तलाक हो गया लेकिन अरुणिमा सिन्हा खुद को कमजोर नहीं होने दी इन को प्रोत्साहित करने वाले उनकी मां तथा उनकी बड़ी-बड़ी बहन थी और अरुणिमा सिन्हा के जीवन में बहुत कम ऐसे लोग थे जिन्होंने पर्वतारोही बनने के लिए प्रोत्साहित किया उनमें से एक थी दिल्ली की संगठन जिन्होंने उनको नकली पैर दिए जिसकी मदद से उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ी|

इस पैर के लिए कहा की यह नकली पैर पाने के बाद मैं सीधा ट्रेन पकड़ी और जमशेदपुर गई वहां पर मैं बछेंद्री पाल से मिली उन्होंने मुझे अपना शिष्य बनाया और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए सिखाया और तभी से मैं पीछे मुड़कर नहीं देखी और अपने सपने को पूरा किया|

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के बाद

जब वह बछेंद्री पाल से मिली तब उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना शुरू किया और चढ़ती से मैं उनको कई तरह की समस्याएं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन इन सभी कठिनाइयों और समस्याओं के साथ उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर 21 मई सन 2023 को 10:55 पर माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचकर अपना तिरंगा फहराया और उन्होंने बताया कि वहां पर पहुंचने के बाद में बहुत रोई लेकिन उस समय मेरे दुख से ज्यादा खुशी के आंसू थे और वहां पर मेरे सारे दुख खत्म हो गए थे|

अन्य चोटियां

अरुणिमा सिन्हा दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के पश्चात उन्होंने और भी कई चोटियों पर चढ़ा जिसका नाम है:

अर्जेंटीना का अकोंकागुआ पर्वत जिसकी ऊंचाई 6961 मीटर है|
यूरोप में स्थित एलब्रुस पर्वत जिसकी ऊंचाई 5631 मीटर है|
अफ्रीका में स्थित किलिमंजारो पर्वत जिसकी ऊंचाई 5895 मीटर है|

सम्मान एवं पुरस्कार

अरुणिमा सिन्हा को हमारे भारत देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान जिसका नाम पद्मश्री है उससे इनको सन 2015 में नवाजा गया|
अरुणिमा सिन्हा को तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सन 2016 में सम्मानित किया गया और इस अवार्ड को हमारे देश में अर्जुन पुरस्कार के समान माना जाता है|
सन 2018 में इनको प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया|

इन सामानों के अलावा उत्तर प्रदेश द्वारा 25 लाखों रुपए का इनाम तथा केंद्र सरकार द्वारा 2000000 रुपए का इनाम और समाजवादी पार्टी की तरफ से ₹500000 की धनराशि दी गई|

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले द्वारा विकलांग महिला होने के बावजूद भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का हौसला रखकर और इतना ऊपर चढ़ने पर तिरंगा लहराया जिस वजह से उनको सुनपुर रत्न अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी|

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निष्कर्ष

दोस्तों हमने आपको इस ब्लॉग में बताया arunima sinha biography in hindi| अगर आप कोई अच्छा लगा हो तो आप ही से अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें यदि आप हमें कुछ बताना या पूछना चाहते हैं तो उसके लिए कमेंट करें|

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