चाणक्य जी के बारे में जानकारी 2021 | Chanakya biography in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में बताने वाले हैं चाणक्य जी के बारे में अर्थात आज का हमारा विषय है chanakya biography in hindi। चाणक्य का नाम तो हम सभी ने सुना है और कई सारे उनकी नीतियों के बारे में भी पड़ा है लेकिन उनके जीवन शैली एवं कार्यों की संपूर्ण जानकारी हमें नहीं है जिस वजह से गूगल पर प्रतिदिन इस तरह के सर्च होते रहते हैं जैसे कि biography of chanakya in hindi | chanakya biography in hindi language।

तो चलिए शुरू करते हैं

चाणक्य जी के बारे में जानकारी | Chanakya biography in hindi | biography of chanakya in hindi

INFOGYANS

चाणक्य का जन्म कब हुआ यह बात अभी तक पूर्णता साबित नहीं हो सकी लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि उनका जन्म 376 ईस्वी पूर्व हुआ था। चाणक्य का नाम कौटिल्य तथा विष्णु गुप्त भी है लोग इन को इस नाम से भी पुकारते हैं।

चाणक्य की शिक्षा दीक्षा हमारे भारत देश के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय में हुई थी इनका बचपन से ही पढ़ाई में बहुत रूचि थी और यह एक बहुत ही होनहार बालक है तथा कई ग्रंथों के मुताबिक ऐसा पाया गया है कि चाणक्य ने तक्षशिला की शिक्षा ग्रहण करी थी। तक्षशिला एक ऐसा शिक्षण केंद्र था जो उत्तरी पश्चिमी प्राचीन भारत में स्थित था चाणक्य का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था जिस वजह से वह कई सारे विषयों में विद्वान थे जैसे अर्थशास्त्र राजनीति युद्ध रणनीतियों दावा तथा ज्योतिष विद्या में।

इन सभी विषयों के अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि चाणक्य जी को ग्रीक एवं फारसी भाषा का भी ज्ञात था। चाणक्य ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद तक्षशिला में राजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र के शिक्षक बन गए तत्पश्चात व सम्राट चंद्रगुप्त के सहयोगी भी बने।

Chanakya एक बहुत ही कुशल तथा महान चरित्र वाले व्यक्ति थे और साथ ही यह एक विद्वान और महान शिक्षक भी थे चाणक्य के महान विचार तथा उनके द्वारा बताई गई महान नीतियां लोगों में बहुत लोकप्रिय होने लगी जिस वजह से चाणक्य बहुत ही कम समय में बहुत ज्यादा ख्याति प्राप्त कर ली थी लेकिन इसी दौरान दो घटनाओं ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल कर रख दिया।

पहली घटना थी भारत पर सिकंदर का आक्रमण एवं तत्कालीन छोटे भारत के राज्य की हार तथा दूसरी घटना थी कि मगध के शासक ने विद्वान कौटिल्य का अपमान किया था।

इन्हीं दो घटनाओं की वजह से चाणक्य ने छात्रों को शिक्षा देने का कार्य छोड़कर शासकों को शिक्षा देने का निर्णय लिया और इसी वजह से उन्होंने अपने घर से बाहर निकल गए और अपने उचित नीतियों को सिखाने का फैसला किया। क्योंकि सिकंदर ने जब भारत पर आक्रमण किया था तब बहुत सारे राजाओं ने उनके साथ मिलकर समझौता कर लिया था तब चाणक्य तक्षशिला में प्रिंसिपल के पद पर निर्धारित उन्होंने कई सारे राजाओं के सामने विनती की की भारत की संस्कृति को मत खोयो।

लेकिन उस समय किसी भी राजा में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह सिकंदर से युद्ध करें। लेकिन उस समय मगध समराज बहुत अच्छा खासा शक्तिशाली था जिस वजह से चाणक्य उनके पास देश हित की रक्षा के लिए आग्रह करने गए लेकिन धनानंद अपने शक्ति के घमंड में चूर उनके इस आग्रह को ठुकरा कर उनका अपमान किया उसने कहा।

पंडित हो पंडिताई करो युद्ध करने के बारे में ना सोचो युद्ध करने का कार्य राजा का है। ऐसी अपमानजनक बातें सुनकर चाणक्य ने ठान लिया कि वह नंद साम्राज्य का विनाश कर देंगे।

इस अपमान के बाद जब सड़क बाहर निकले तब उन्होंने चंद्रगुप्त के प्रतिभा को समझ कर उन्हें अपना शिष्य बनाया और नंद साम्राज्य के शासक से बदला लेने के लिए उन्हीं को चुना लेकिन उस समय चंद्रगुप्त मौर्य सिर्फ 9 वर्ष के थे और चाणक्य ने चंद्रगुप्त को प्रभावित विषयों और व्यावहारिक तथा प्राविधिक कला में शिक्षा प्रदान की।

चाणक्य एक बहुत ही बुद्धिमान तथा चतुर व्यक्ति थे जिस वजह से उन्होंने अपनी बुद्धिमता एवं चालाकी का उपयोग करते हुए कुछ शक्तिशाली राजाओं का संगठन चंद्रगुप्त मौर्य साम्राज्य के साथ किया और उन्होंने मिलकर घमंडी एवं शक्तिशाली राजा का पतन किया।

नंद साम्राज्य का वह अकेला शासक था जिस वजह से वह साम्राज्य का पतन हो गया और चंद्रगुप्त मौर्य के साथ मिलकर चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। और उस दरबार के चाणक्य मुख्य सलाहकार तथा राजनीतिक सलाहकार बनकर अपनी सेवा राज्य के प्रति की।

चाणक्य के महान नीतियों की वजह से मौर्य साम्राज्य हमारे भारत देश के पश्चिम में स्थित सिंधु नदी से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक फैल गया था और कुछ समय पश्चात मौसम राज्य ने पंजाब पर भी विजय प्राप्त कर उस पर नियंत्रण कर लिया और इसीलिए मौर्य साम्राज्य पूरे भारत में फैल गया।

चंद्रगुप्त मौर्य खाने में जहर की थोड़ी मात्रा डालकर खिलाई जाती थी ताकि दुश्मनों द्वारा किए गए जहरीले प्रभाव से भी उनकी रक्षा की जा सके लेकिन इस बात को चंद्रगुप्त मौर्य को ना पता होने की वजह से उन्होंने अपना भोजन अपनी रानी दुध्रा को खिला दिया रानी उस समय गर्भवती थी और जब जहर ने अपना असर दिखाना शुरू किया तब वह बेहोश हो गई और कुछ ही समय में उनकी मृत्यु हो गई लेकिन इस बात का खबर जब चाणक्य को चला तो उन्होंने बच्चे को बचाने के लिए पेट खोल कर उसकी रक्षा करें।

चाणक बहुत ही विद्वान व्यक्ति थे जिस वजह से उनके सम्मान में नई दिल्ली में राजनयिक एकलव्य नाम चाणक्य के नाम पर ही रख दिया गया वहां का नाम चाणक्यपुरी कर दिया गया तथा उनके सम्मान में कई सारी संस्थाओं एवं टेलीविजन सीरीज और किताबों को भी चाणक्य का नाम दिया गया।

चाणक्य की मृत्यु275 इसवी पूर्व हुई थी लेकिन इस बात का भी अभी तक कुछ भी अस्पष्ट स्वरूप किसी को नहीं पता कि उनकी मृत्यु कब और किस तरह से हुई यह बस एक अनुमान लगाया गया है। कई पौराणिक कथाओं के अनुसार चाणक्य जंगल में खाना पानी त्याग कर अपने शरीर का त्याग कर दिए थे।लेकिन अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र बिंदुसारा के शासनकाल में चाणक्य की राजनीतिक षड्यंत्र द्वारा मृत्यु हुई थी।

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निष्कर्ष

दोस्तों मैंने आपको एक ब्लॉग में बताया chanakya biography in hindi। अगर आप को उनके बारे में जानकारी अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और अपने सवाल को आप हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं।

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