दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में बताने वाले हैं मेरी कॉम के बारे में अर्थात आज का हमारा विषय है mary kom biography in hindi। बहुत कम लोगों को मेरी कॉम के बारे में पता होगा और कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक इनका नाम भी नहीं सुना जिस वजह से गूगल पर प्रतिदिन इस तरह के सर्च होते रहते हैं जैसे कि mary kom in hindi , information about mary kom in hindi इसलिए मैं आपको उनके बारे में बताऊंगा।
तो चलिए शुरू करते हैं।
मेरी कॉम के बारे में जानकारी | Mary kom biography in hindi | mary kom in hindi

मेरे कॉम का पूरा नाम मांगते चुंगनेजंग मेरी कोम है इनका जन्म 1 मार्च 1983 में कन्गथेइ मणिपुर में हुआ था। इनकी माता का नाम मांगते अक्हम कोम तथा इनके पिता का नाम मांगते तोंपा कोम था। मेरी कॉम चार भाई बहन थे जिनमे से मेरी कॉम सबसे बड़ी थी।
मैरी कॉम ने अपनी आरंभिक शिक्षा लोकतक क्रिश्चियन मॉडल हाई स्कूल से प्राप्त कर इन्होंने वहां तक कक्षा छठवीं तक पढ़ी उसके पश्चात उन्होंने अपना दाखिला जेवियर कैथोलिक स्कूल में करा लिया और वहां पर उन्होंने कक्षा आठवीं तक पढ़ाई की उसके पश्चात नौवीं और दसवीं की पढ़ाई उन्होंने आदिम जाति हाई स्कूल से पूर्व उन्होंने पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया उसके पश्चात उन्होंने आई एन ओ एस की परीक्षा दी।
उसके पश्चात मैरीकॉम ने अपना डिग्री चुरा चांदपुर कॉलेज जो मणिपुर की राजधानी में स्थित है वहां से पूर्ण किया। मेरी काम को बचपन से ही एक एथलीट बनने का सपना था और इसलिए वह अपने विद्यालय के फुटबॉल के खेल में हिस्सा लिया करती थी लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत करने से पहले बॉक्सिंग में कभी भी हिस्सा नहीं लिया था।
लेकिन सन 1998 में मेरे काम का विचार बदलने लगा दो कि उन्होंने बॉक्सर डिंगको सिंह को एशियन गेम में गोल्ड मेडल जीते हुए देखा जिस वजह से उन्होंने अपने मन में यह विचार किया कि उनको बॉक्सर बनना है लेकिन जब उन्होंने यह विचार अपने मन में लाया तब उनको कई सारे समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि उनको अपने घरवालों को मनाना बहुत ही मुश्किल था क्योंकि यह जहां पर रहती थी वहां बहुत ही छोटी बस्ती थी जहां के लोगों को ऐसी विचारधारणाएं थी कि बॉक्सिंग एक पुरुषों का खेल है जिसमें बहुत मेहनत और ताकत की जरूरत पड़ती है या महिलाओं का खेल नहीं है।
मेरे काम की उम्र कम होने की वजह से लोग उनको बॉक्सिंग ना करने की सलाह दिया करते थे लेकिन मेरे काम ने अपने मन में ठान लिया था तो वह अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचेंगे इसके लिए उन्होंने अपने मां-बाप को बिना बताए ट्रेनिंग शुरू कर दी।
और तभी उन्होंने खुमान लंपक स्पोर्ट्स कंपलेक्स में लड़कियों को लड़कों से बॉक्सिंग करते हुए देखकर उनके मन में अपने सपने को लेकर और भी दृढ़ता बन गई जिस वजह से उन्होंने अपना गांव छोड़कर इंफाल गई और उन्होंने मणिपुर राज्य को बॉक्सिंग कोच एम नरजीत सिंह से आग्रह किया कि वे उनको बॉक्सिंग सिखाएं मेरे कम अपने सपने को लेकर बहुत ज्यादा भाव व्यक्ति जिस वजह से हुआ ट्रेनिंग सेंटर पर देर रात तक प्रैक्टिस करती थी जब सारे विद्यार्थी चले जाते थे।
उन्होंने बॉक्सिंग की बहुत सारी प्रैक्टिस की और इसे अपना करियर चुनने के लिए पूरी तरह तैयार होने पर भी उनके मन में यह विचार था कि बॉक्सर बनने का उनका सपना घरवालों को नहीं पसंद आएगा और ना ही वह लोग मानेंगे इस वजह से मेरी काम ने सन 1998 से लेकर 2000 तक प्रैक्टिस की और सन 2000 में मैरीकॉम ने विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप जो मणिपुर में हो रही थी वहां पर उन्होंने जीत हासिल की और उनको बॉक्सर का अवार्ड दिया गया।
यह बात पूरे मणिपुर में फैल चुकी थी और इस बात का पता उनके घर वालों को चला कि उनकी बेटी बॉक्सिंग कर रही है और इस जीत का उनके घर वालों ने भी खूब सेलिब्रेट किया उसके पश्चात मैरीकॉम ने पश्चिम बंगाल में हो रहे विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता और उन्होंने अपने राज्य का नाम रोशन किया।
मेरे काम अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत सन 2001 में की थी तब इनकी उम्र 18 वर्ष की थी और अमेरिका में आयोजित विमेन बॉक्सिंग चैंपियन में इन्होंने सिल्वर मेडल जीता था उसके पश्चात सन 2002 में तुर्की में आयोजित एआईबीए विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में इन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया तथा हेनरी में आयोजित विच कप मैं इन्होंने गोल्ड मेडल जीता।
एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सन 2003 में मैरीकॉम ने गोल्ड मेडल जीता तथा उसके पश्चात उन्होंने विमेन बॉक्सिंग वर्ल्ड कप एक बार पुनः गोल्ड मेडल हासिल किया। सन 2005 में ताइवान तथा रसिया में आयोजित एआईबीए विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने जीत हासिल करें और गोल्ड मेडल जीता।
2008 मैं मैरी कॉम ने एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता तथा चाइना में गोल्ड मेडल उसके पश्चात सन 2009 में वियतनाम में आयोजित एशियन इंडोर गेम्स में इन्होंने गोल्ड मेडल जीता। इसी तरह उन्होंने सन दो हजार 10 11 12 13 तथा 14 में कई सारे मेडल जीते और हमारे भारत देश का नाम पूरे विश्व भर में रोशन किया।
मेरे काम के पति का नाम करुँग ओंखोलर कोम है जिनसे इनकी मुलाकात दिल्ली में हुई थी और उसके बाद यह दोनों 4 साल तक अच्छे दोस्त बन कर रहे उसके पश्चात सन 2005 में इन दोनों ने शादी कर ली और इनको 3 पुत्र की प्राप्ति हुई दो जुड़वा बेटे तथा एक बेटा।
पुरस्कर तथा अवार्ड
मेरी कॉम को सन 2003 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया तथा सन् 2006 में पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया उसके पश्चात मेरी कॉम को राजीव गांधी खेल रत्न के लिए भी नॉमिनेट किया गया सन 2007 में। मेरी कॉम को सन 2008 में सीएनएन आईबीएन एवं रियल हॉर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया उसी वर्ष इनको पेप्सी एमटीवी यूथ आइकन से सम्मानित किया गया तथा मैग्निफिसेंट मैरी’ अवार्ड भी मिला। सन 2009 में इनको राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया तथा सन् 2010 में इनको सहारा स्पोर्ट्स अवॉर्ड द्वारा स्पोर्ट्सविमेन ऑफ द ईयर के अवार्ड से नवाजा गया तथा सन् 2013 में इनको पद्मभूषण के अवार्ड से सम्मानित किया गया जो हमारे देश का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है।
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निष्कर्ष
दोस्तों हमने आपको इस ब्लॉग में बताया mary kom biography in hindi। अगर आपको और कुछ पूछना है तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं।