पंडित जवाहरलाल के बारे में जानकारी 2023 | Pandit jawaharlal nehru information in hindi

दोस्तो आज मैं आप को इस ब्लॉग में बताने वाला हु पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में अर्थात आज का हमारा विषय है pandit jawaharlal nehru information in hindi। पंडित जवाहरलाल नेहरु के बारे में लोगो को संपूर्ण जानकारी नहीं है जिस वजह से गूगल पर प्रतिदिन इस तरह के सर्च होते है जैसे की information of pandit jawaharlal nehru in hindi , information about pandit jawaharlal nehru in hindi

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पंडित जवाहरलाल के बारे में जानकारी 2021 | Pandit jawaharlal nehru information in hindi

पंडित जवाहरलाल का जन्म 14 नवंबर 18 सो 79 में हुआ था इस दिन पर वर्तमान समय में भी बच्चों के लिए बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू। मोतीलाल नेहरू एक कश्मीरी पंडित जो धानी बैरिस्टर थे।

मोतीलाल नेहरू का संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के दो बार नेता चुने गए पंडित जवाहरलाल नेहरू की माता का नाम स्वरूपरानी थूस्सू था इनकी माता लाहौर के एक बहुत ही प्रसिद्ध ब्राह्मण परिवार से थी।

स्वरूप रानी थूस्सू मोतीलाल नेहरू की दूसरी पत्नी थी पहली पत्नी की मृत्यु हो जाने के बाद उन्होंने इन से विवाह किया मोतीलाल नेहरू के तीन संताने थी अर्थात पंडित जवाहरलाल नेहरू तीन भाई बहन थे पंडित जवाहरलाल नेहरू इनमें से सबसे बड़े थे उनके पश्चात दो बहने थी बड़ी बहन का नाम विजयालक्ष्मी और सबसे छोटी बहन का नाम कृष्णा हठी सिंह था।

पंडित जवाहरलाल नेहरु की बड़ी बहन विजयालक्ष्मी संयुक्त राष्ट्र महासभा की सबसे पहली महिला अध्यक्ष बनी थी और उनकी छोटी बहन कृष्णा हठी सिंह यह एक उल्लेखनीय लेखिका बनी जिन्होंने अपने परिवार पर कई सारे पुस्तके लिखें।

पंडित जवाहरलाल नेहरु अपनी जीवन में कई अच्छे विद्यालयों से अपनी शिक्षा प्राप्त की है यह अपने स्कूल की शिक्षा है रो से और अपने कॉलेज की पढ़ाई इन्होंने त्रिनिटी कॉलेज लंदन से किया था उसके पश्चात यह अपने लॉ की डिग्री की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की है।

पंडित जवाहरलाल नेहरु इंग्लैंड में 7 वर्ष व्यतीत किया था उसके पश्चात हुआ 1912 में अपने भारतवर्ष वापस लौट आए थे और उन्होंने वहां पर अपनी वकालत शुरू की फिर 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू जो उनकी पत्नी है उनसे हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरू 1917 में होम रूल लीग में शामिल हो गए और उनका राजनीतिक जीवन तब शुरू हुआ जब वह महात्मा गांधी के संपर्क में आए अर्थात सन उन्नीस सौ 19 में।

उस समय महात्मा गांधी ने रोलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था जिसमें नेहरू गांधी जी बहुत आकर्षित हुए। जवाहरलाल नेहरू ने अपने परिवार को भी महात्मा गांधी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को ढाल लिए और उसके पश्चात जवाहर लाल नेहरू और मोतिलाल ने पश्चिमी कपड़ो और महंगी वस्तुओ का त्याग कर दिया।

जवाहरलाल नेहरू और पिता जी ने पश्चिमी कपड़ो का त्याग करने के बाद खादि कुर्ता और गांधी टोपी पहनना शुरू कर दिया था । सन 1920 – 1922 में जवाहरलाल नेहरू ने असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लिया और उसके दौरान उनको पहली बार गिरफ्तार किया गया था।

उसके कुछ दिन पश्चात उनको रिहा कर दिया गया फिर जवाहरलाल नेहरू को 1924 में इलाहाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था फिर उन्होंने शहर के मुख्य के कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्य किया।

लेकिन 1926 में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया और कहा की मैं कार्य इसलिए त्याग रहा हूं क्युकी ब्रिटिश अधिकारियो से मुझे कम सहयोग मिल रहा है। जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम 1935 में लागू किया तब भारत की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया और इसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू बाहर रहे लेकिन बहुत जोरों शोरों से प्रचार किया जिस वजह से कांग्रेश दल बहुत भारी मतों से विजई हुई।

जब हमारा भारत देश ब्रिटिश सरकार की गुलामी से सन 1947 में आजाद हुआ तब प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेसमें मतदान हुए और जिसमें सरदार पटेल जी को सर्वाधिक मत मिला था उसके पश्चात दूसरे स्थान पर आचार्य कृपलानी जी थी। लेकिन महात्मा गांधी जी के कहने पर इन दोनों ने अपना नाम प्रधानमंत्री पद के लिए वापस ले लिया और जिस वजह से हमारे राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी बने।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री बन गए तब उनके सामने झंडा चुनने का एक बहुत ही बड़ी समस्या उनके सामने आए जिसका उन्होंने बहुत डटकर सामना किया और कई रजवाड़ों को उन्होंने स्वतंत्र कराया सब देशों के साथ गठबंधन कर लेने के बावजूद भी पाकिस्तान और चीन एक ऐसे देश हैं जिनके साथ हमारी कोई भी मित्रता नहीं हो पाई।

पाकिस्तान से जब भी समझौता करने जाते तो कश्मीर का मुद्दा सामने आ जाता था और जब चीन के साथ मित्रता करने की बाद आती तब सीमा का विवाद उठता जाता था जिस वजह से इन दोनों देशों के साथ हमारी मित्रता नहीं हो पाई।

पंडित जवाहरलाल नेहरू को गुलाब का फूल और बच्चे बेहद पसंद है जिस वजह से वर्तमान समय में पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिवस के दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा जो 14 नवंबर है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू को गुलाब का फूल भी बहुत पसंद था जिस वजह से उनके ऊपर ही जेब में हमेशा एक गुलाब का फूल रखा हुआ रहता था। पंडित जवाहरलाल नेहरु की एक की औलाद थी वह इंदिरा गांधी थी जो हमारे देश के सर्वप्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के ऊपर कई सारी पुस्तकें भी लिखी गई है उनके नाम मैं आपको बताता हूं।
पिता के पत्र : पुत्री के नाम – 1929
विश्व इतिहास की झलक (ग्लिंप्सेज ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री) – (दो खंडों में) 1933
मेरी कहानी (ऐन ऑटो बायोग्राफी) – 1936
भारत की खोज/हिन्दुस्तान की कहानी (दि डिस्कवरी ऑफ इंडिया) – 1945
राजनीति से दूर
इतिहास के महापुरुष
राष्ट्रपिता
जवाहरलाल नेहरू वाङ्मय (11 खंड में)

पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में इन पुस्तकों में बहुत सारी बातें लिखी गई हैं जो आपको प्रभावित करेंगी।

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निष्कर्ष

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