आज का हमारा विषय है रामधारी सिंह दिनकर बायोग्राफी अर्थात ramdhari singh dinkar biography in hindi| रामधारी सिंह दिनकर के बारे में अत्यधिक जानकारी न होने की वजह से गूगल पर प्रतिदिन इस तरह के सर्च होते रहते हैं जैसे कि ramdhari singh dinkar in hindi, about ramdhari singh dinkar in hindi इसलिए मैं आज आपको उनके बारे में बताऊँगा|
तो चलिए शुरू करते हैं|
रामधारी सिंह दिनकर जी के बारे में जानकारी | Ramdhari singh dinkar biography in hindi| ramdhari singh dinkar in hindi
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 में हुआ था| उनके पिता का नाम बाबू रवि सिंह था तथा उनकी माताजी का नाम मनरूप देवी था| रामधारी सिंह दिनकर जी ने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने ही गांव प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त कर रही थी तत्पश्चात वह अपने मिडिल स्कूल की पढ़ाई राष्ट्रीय मिडिल स्कूल सीमा जो उनके ही गांव के समीप बोरो नाम का गांव था वहीं से प्राप्त की थी|
इस विद्यालय में पढ़ते हुए उनके मनो में राष्ट्रीयता की भावना विकसित हुई और उन्होंने मोकामा घाट हाई स्कूल से अपने हाईस्कूल की पढ़ाई पूर्ण कर ली तत्पश्चात उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से इतिहास में बीए ऑनर्स मैं सन 32 में किए और उनको अपनी मातृभाषा के साथ साथ संस्कृत बांग्ला अंग्रेजी और उर्दू भाषा का भी ज्ञान हो गया था|
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रामधारी सिंह दिनकर को एक स्कूल का प्रधानाध्यापक बना दिया गया| तत्पश्चात सन् 1934 से लेकर सन् 1947 तक रामधारी सिंह दिनकर अपने राज्य बिहार सरकार के सब रजिस्ट्रार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक स्वरूप कार्य किये|
रामधारी सिंह दिनकर राजनीतिक स्वरूप बेकार किया है जब सन् 1952 हमारे भारत का प्रथम संसद का निर्माण हुआ तब इनको उस का सदस्य चुना गया और रामधारी सिंह दिनकर 12 वर्षों तक राज्यसभा के सदस्य बनकर रहे तत्पश्यात सन् 1964 में उनको भागलपुर विश्वविद्यालय के लिए कुलपति चुना गया और वहाँ पर वह सन् 1965 तक कार्यरत रहे|
दिनकर की प्रमुख कृतियां:
रामधारी सिंह दिनकर ने कई सारी ऐसी महान कृतियां लिखी है जो सभी को बेहद प्रेरित करती है और जागरूक भी करती उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता एवं शोषण के खिलाफ़ कविताओं की रचना की| उनकी महान रचनाएँ रश्मिरथी और परशुराम की प्रतीक्षा जैसी महान रचनाएं शामिल हैं रामधारी सिंह दिनकर जी को वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि कहा जाता था क्योंकि उनकी अधिकतर रचनाएँ वीर रस पर ही आधारित रहती थी|
उर्वशी यह एक अप्सरा की कहानी है जिसमें उन्होंने मानवीय प्रेम संबंधों का उपयोग किया है| हाँ रामधारी सिंह दिनकर की और भी कई सारी काव्य और गद्य कृतियां मौजूद है|
काव्यकृति
मैं आपको उनकी सभी कृतियों में से कुछ 10 कृतियों के बारे में बताता हूँ:
बारदोली-विजय संदेश (1928),
प्रणभंग (1929),
रेणुका (1935),
हुंकार (1938),
रसवन्ती (1939),
द्वंद्वगीत (1940),
कुरूक्षेत्र (1946),
धूप-छाँह (1947),
सामधेनी (1947),
बापू (1947),
गद्य कृतियां
मिट्टी की ओर 1946,
चित्तौड़ का साका 1948,
अर्धनारीश्वर 1952,
रेती के फूल 1954,
हमारी सांस्कृतिक एकता 1955,
भारत की सांस्कृतिक कहानी 1955,
संस्कृति के चार अध्याय 1956,
उजली आग 1956,
देश-विदेश 1957,
राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता 1955,
पुरस्कार
रचना कुरुक्षेत्र के लिए रामधारी सिंह दिनकर को भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा काशी नगरी प्रचारिणी सभा से सम्मानित किया गया
सन 1959 उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया|
तथा उसी वर्ष उनको भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया|
रामधारी सिंह दिनकर भारत के राष्ट्रपति बनने के बाद उनको डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाज़ा गया|
सन 1968 मैं रामधारी सिंह दिनकर को राजस्थान विद्यापीठ साहित्य चूड़ामणि कि सम्मान से सम्मानित किया गया
सन 1972 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया उनके उर्वशी रचना के लिए|
तथ्य रामधारी सिंह दिनकर के बारे मे
रामधारी सिंह दिनकर को भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर काशी प्रसाद जायसवाल अपने पुत्र की तरह मानते थे इस वजह से शुरुआती दौर में जब यह कभी बनने की शुरू वात कर रहे थे तब उन्होंने उनकी काफी मदद की लेकिन दुर्भाग्यवश में उनका निधन हो गया जीस वजह से रामधारी सिंह दिनकर को बहुत धक्का लगा|
रामधारी सिंह दिनकर की रेणुका और हुंकार की कुछ ऐसी रचनाएँ थोड़ा बहुत प्रकाश में आ रही थी तब उसको देखकर अंग्रेज शासकों द्वारा इनके खिलाफ़ कई तरह की फाइल तैयार होने लगी क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि यह उनके लिए खतरा बन सकते हैं जिसकी वजह से रामधारी सिंह दिनकर का चार वर्ष में 22 बार तबादला हुआ|
भारत के कवि प्रेम जनमेजय ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने गुलाम भारत और आजाद भारत दोनों में अपनी कविताओं के जरिए लोगों में क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किए| और उन्होंने यह भी कहा कि जब चीन द्वारा हमारे भारत पर हमला किया गया था तब इनकी रचनाओं द्वारा ही लोगों में अपने देश के प्रति चेतना को बढ़ाया|
रामधारी सिंह दिनकर का निधन 24 अप्रैल 1974 में बिहार में हुआ था तथा रामधारी सिंह दिनकर के 19 वीं जयंती पर उस समय के राष्ट्रपति ने उनको श्रद्धांजलि दी थी|
रामधारी सिंह दिनकर के बारे में कई सारे लेख को एवं कवियों ने कई सारी तरह की बातें लिखी हैं जैसे हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखा गया कि उनको चार ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने चाहिए थे जैसे गद्य पद्य भाषा और हिंदी सेवा के लिए|
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा कि रामधारी सिंह दिनकर तुम लोगों को अधिक प्रिय थे अर्थात उनकी लिखी रचना उन लोगों को अधिक पसंद आती थी जो हिंदी नहीं जानते या उनकी मातृभाषा हिंदी नहीं थी|
काशीनाथ सिंह जो हिंदी के सबसे लोकप्रिय और माने जाने लेखक थे उन्होंने लिखा कि रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रवाद के कवि थे और साम्राज्यवाद के विरोध थे|
रामधारी सिंह दिनकर की कई सारी कविता एवं रचनाएँ लोगों में बेहद पसंद आती है और हम अपने विद्यालयों में भी उनकी रचनाओं को पढ़ते है| ठीक है
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निष्कर्ष
दोस्तों भी हमने आपको इस ब्लॉग में ramdhari singh dinkar biography in hindi| बताया यद्यपि आपको उनके बारे में जानकारी जानकर अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और यदि आप का कोई सवाल है तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं|