सावित्रीबाई फुले के बारे में जानकारी 2023 | Savitribai phule information in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में बताने वाले हैं सावित्रीबाई फुले के बारे में अर्थात आज का हमारा विषय है savitribai phule information in hindi। सावित्रीबाई फुले के बारे में लोगों का अधिक जानकारी नहीं है जिस वजह से गूगल पर प्रतिदिन इस तरह के सर्च होते रहते हैं जैसे कि information about savitribai phule in hindi , savitribai phule biography इसलिए मैं आप को इनके बारे में जानकारी दूंगा

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सावित्रीबाई फुले के बारे में जानकारी | Savitribai phule information in hindi | information about savitribai phule in hindi

INFOGYANS

सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में हुआ था। सावित्रीबाई फुले के पिताजी का नाम खंडोजी नैवेसे था तथा उनके माता जी का नाम लक्ष्मी था सावित्रीबाई फुले का विवाह ज्योतिबा भूले से हुआ था सन 1840 में। सावित्रीबाई फुले किसान स्कूल की स्थापना की और वह भारत की पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल बनी।

सावित्रीबाई फुले के पिता पति जोतिबा फुले ने महाराष्ट्र भारत के समाज सुधारक आंदोलन के बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको दलित जातियों के लिए और महिलाओं के लिए शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है क्योंकि वह इन को शिक्षित करने के लिए बहुत सारे प्रयास किए थे।

सावित्रीबाई फुले ने अपना पूरा जीवन कई साल संघर्षों के लिए जिया और उनका एक उद्देश था कि वह विधवा विवाह करवाना छुआ छूट मिटाना महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना था।

सावित्रीबाई फुले एक कवियत्री भी थी उन्हें मराठी की कवित्री भी माना गया है। सावित्रीबाई फुले को बहुत सारे मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि वह जब स्कूल जाती थी तो उनके विरोधी लोग उन पर पत्थर मारा करते थे उनके ऊपर गंदगी फेंक देते थे वर्तमान समय से लगभग 170 साल पहले बालिकाओं और महिलाओं के लिए स्कूल खोलना वहां के समाज के लिए एक बहुत ही बड़ा पाप माना गया था जिस वजह से वहां पर एक भी महिलाओं के लिए विद्यालय नहीं खुले थे।

सावित्रीबाई फुले किसी भी धर्म एवं जाति के लिए तभी भी विरोध तथा उनका अपमान नहीं किया हुआ सभी बिरादरी और धर्म के लिए कार्य किया है। सावित्रीबाई फुले को समाज का बहुत ही संघर्ष उठाना पड़ा क्योंकि जब वह महिलाओं को पढ़ाने के लिए जाती थी तो विरोधी धर्म के लोग उन पर कीचड़ गोबर गंदगी इत्यादि फेंका करते थे लेकिन यह करके भी उन्होंने सावित्रीबाई फुले को रोक नहीं पाए वह जब भी महिलाओं को पढ़ाने जाती थी तब वह अपने थैले में एक साड़ी लेकर जाती थी और वह जब विद्यालय पहुंच जाती थी तब अपने उस गंदी साड़ी को बदलकर वह दूसरी साड़ी पहन लेती थी।

सावित्रीबाई फुले ने 3 जनवरी 1848 में पुणे में ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर सभी जातियों और 9 कक्षाओं के साथ उन्होंने महिलाओं के लिए एक विद्यालय खोला उच्च विद्यालय खोलने के 1 वर्ष पश्चात ही सावित्रीबाई फुले और महात्मा फुले पांच अन्य नए विद्यालय खोलने में सफलता प्राप्त की।

सन 18 सो 48 में बालिका विद्यालय चलाना सावित्रीबाई फुले के लिए एक संघर्ष और जंग की तरह था क्योंकि उस समय बालिका विद्यालय चलाना एक पाप माना जाता था और लड़कियों को शिक्षा प्रदान कराना सामाजिक पाबंदी थी सावित्रीबाई फुले ने पूरे समाज के साथ लड़कर ना बल्कि खुद को और दूसरी लड़कियों के भी पढ़ने का इंतजाम किया।

सावित्रीबाई फुले का निधन 10 मार्च 1897 में एक महामारी जिसका नाम प्लेग था उस वजह से हुई क्योंकि वह उस समय इन मरीज का सेवा कर रही थी जो इस महामारी से पीड़ित थे और उसी दौरान उनको प्लेग की बीमारी लग गई जिस वजह से उनकी मृत्यु हो गई।

जब सावित्रीबाई फुले की शादी हुई थी तब इनके पति की उम्र इनसे 4 वर्ष अधिक थी। पुणे यूनिवर्सिटी सावित्रीबाई फुले के सम्मान में अपना नाम बदलकर सावित्रीबाई फूले पुणे यूनिवर्सिटी कर दिया।

सावित्रीबाई फुले पेशवा को बहुत ही बुरा बताती थी क्योंकि उनके राज में दलितों और स्त्रियों को कई सारे उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता था जिस वजह से उनको यह राज पसंद नहीं था और वह अंग्रेजी शासन का समर्थन किया करती थी ।

सावित्रीबाई फुले अपनी कविताओं में बहुत पहले लिख चुकी थी जो बात भीमराव अंबेडकर जी ने दलितों के लिए बोली थी शिक्षित हो संगठित हो और संघर्ष करो जिस वजह से भीमराव अंबेडकर भीम सावित्रीबाई फुले और उनके पति को अपना आदर्श मानते थे।

फुले दंपति को कोई भी संतान प्राप्त नहीं थी जिस वजह से उन्होंने एक बेटा बहुत लिया और उसके साथ मिलकर उन्होंने प्लेग रोगियों के लिए अस्पताल खोला और उस अस्पताल में ही वह उन रोगियों की सेवा करती थी।

सावित्रीबाई फुले की वजह से ही वर्तमान समय में हमारे देश की लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने का अवसर प्राप्त हुआ है क्योंकि इन्होंने अपने जीवन में बेहद संघर्ष करके महिलाओं और बालिकाओं के लिए विद्यालय खोला और वहां पर उनको पढ़ आया करती थी।

सावित्रीबाई फुले ने ज्योतिबा फुले से मिलकर 24 सितंबर 18 सो 73 में सत्यशोधक समाज की स्थापना की। इस समाज में उन्होंने विधवा विवाह की परंपरा शुरू की और उन्होंने 25 सितंबर 18 सो 73 में पहला विधवा विवाह कराया।

सावित्रीबाई फुले ने अपना पूरा जीवन दलितों और बालिकाओं के अधिकार दिलाने में ही व्यतीत कर दिया जिस वजह से वर्तमान समय में दलित समाज और बालिकाओं को शिक्षा प्राप्त करने की आजादी दी गई है और भीमराव अंबेडकर इन को अपना आदर्श मानकर दलितों के लिए कई कानून बनवाए।

सावित्रीबाई फुले जब तक जीवित रहे तब तक वह बालिकाओं को न्याय दिलाने और उनको शिक्षित बनाने का ही प्रयत्न किया है सावित्रीबाई फुले ने जिस लड़के को गोद लिया था उसका नाम उन्होंने यशवंतराव रखा था।

सावित्रीबाई फुले ने 28 जनवरी 18 53 में गर्भवती बलात्कार पीड़ितों के लिए बाल हत्या प्रतिबंधक गृह को स्थापित किया। सावित्रीबाई फुले सती प्रथा बाल विवाह और विधवा विवाह निषेध के विरुद्ध थी वह इन सभी को समाज से पूरी तरह के से मुक्त करने के लिए कई सारे संघर्ष किए और अपने पूरे जीवनकाल भर समाज से लड़ती रही और इन सभी को अधिकार दिलाया।

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निष्कर्ष

दोस्तों अभी हमने आपको इस ब्लॉग में बताया savitribai phule information in hindi। अगर आपको यह विषय पसंद आया हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें और यद्यपि आपका कोई सवाल है तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं।

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